हूं...हूं...हूं...। इसे कहते हैं नीति। कौन सी नीति ? कूटनीति । अरे नहीं साहेब। कूटनीति, तो पढे लिखों की बला होगी। साधारण इंसान को क्या समझ इस कूट-वूटनीति की। आपने यहा तो एक ही चीज समझी जाती है। वह है राजनीति। जो सब कुछ बदलती है। जैसे मुल्क बदल गया है। कितना बदल गया है। इस पचडे में पडने की क्या जरुरत ? लेकिन बदल गया है। अब देखिए न। पिछले महीने देसी पत्रिका इंडिया टुडे ने क्या खुलासा किया था? खुलासा यह किया था कि आपने प्रधान सेवक और उनके सिपहासालार गृहमंत्री की लोकप्रियता घटी है। 40 फीसद से ज्यादा की गिरावट प्रधान सेवक साहेब की लोकप्रियता में इंडिया टुडे ने दर्ज की थी। यकीन नहीं हो तो मैग्जिनिया पढ लीजिए। फिर तो यकीन आ जाएगा न। इससे बीजेपी की नींद उड गई थी। चैन छिन गया था। यूपी असेंबली का महत्वपूर्ण इलेक्शन और पीएम, गृह मंत्री की लोकप्रियता का घट जाना। कई सवालों ने एक साथ बीजेपी के थिंकटैक को झकझोड दिया था इस सर्वे के बाद। इंडिया टुडे के इस सर्वे की काट को खोजा जाने लगा। कैसे भरपाई होगी। इसका मंथन होने लगा। तभी किसी को याद आई मार्निंग कंसल्ट की। अमेरिकी कंपनी है मार्निंग कंसल्ट। इस कंपनी की साइट पर जाएंगे, तो पता चलेगा कि कंपनी आप की रोटिंग करती है। यकीन न हो तो कंपनी आप को डेमो दिखाने को राजी है। इस कंपनी ने 135 करोड की भारतीय आबादी में से सिर्फ 2126 शख्सों से सलाह-मशविरा कर प्रधान सेवक साहेब की रोटिंग कर डाली। सुनते हैं अब प्रधानमत्री साहेब की अपरुवल रेटिंग में इजाफा हुआ है।
70 फीसदी हो गई है साहेब की रेटिंग। दुनिया के 13 मुल्कों के राष्ट्राध्यक्षों से भी ज्यादा। यह करिश्मा हुआ है आतंकी टोले तालिबान को अफगान पर कब्जा जमाने के बाद। संयोग देखिए। तालिबान ने अफगान को 15 अगस्त को कब्जाया। मार्निंग कंसल्ट की रेटिंग का काम मुक्कमल हुआ 2 सितंबर को। आतंकी टोले तालिबान ने जब अफगान पर कब्जा जमाया तो भारत उस वक्त संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष था। भले ही यह प्रधानगी महीने भर की थी। लेकिन दुनिया की इस सबसे बडी पंचायत के भारत के सरपच रहते अफगान 20 बरस के उस दौर में जा गिरा यहां से उसे निकालने के लिए पता नहीं कितने पापड बेले गए थे। जानेमाने पत्रकार और विदेश मामलों के जानकार वेद प्रताप वैदिक चीख-चीख कर कहते रहे कि संयुक्त राष्ट्र का अस्थायी सरपंच होने के नाते भारत को अफगान में शांति सेना भेजनी चाहिए थी। लेकिन वैदिक साहेब की बात अनसुनी कर दी गई। उन्होंने तालिबान से बातचीत करने का आग्रह कई बार किया। लेकिन नतीजा सिफर। वैदिक साहेब ने रुस की दलील कई बार दी। रुस ने तालिबान के साथ संवाद शुरु कर दिया था। लेकिन कोई रिस्पांस नहीं। खैर, उधर, दुनिया में आतंकी टोले तालिबान को लेकर बहस छिड गई और इधर, यूपी में नामुराद डेंगू ने पैर पसारने शुरु कर दिए। कोरोना की दूसरी लहर की तरह फेल चुका डेंगू। यूपी के एक नहीं, दो नहीं पता नहीं कितने शहरों, जिलों में कई जिंदगियां लील कर लगातार बढता जा रहा है।
इसकी भयावह बीमारी की रोकथाम कितनी कारगार साबित हो रही है। इसका एक वीडियो सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस वीडियो में बेबस, लाचार मां डॉक्टर के कदमों में सर रख आपने बच्चे की जान बचाने की गुहार लगा रही है। वरिष्ठ पत्रकार शशि शेखर साहेब का सीएम आदित्यनाथ योगी के साथ इंटरव्यू भी इस वीडियो के पहले सोशल मीडिया परह देखा गया। इस इंटरव्यू की शुरुआत यूपी के मच्छर और माफिया से की गई थी। लेकिन आतंक से भी खतरनाक डेंगू के इस मच्छर का सफाया यूपी से नहीं हो पाया है। जिसकी तस्दीक कर रहा है यपी के अस्पताल में डॉक्टर के कदम में पीडित मां का गुहार लगाना। किसान आंदोलन के 9 महीने 10 दिन गुजर गए हैं। लाखों किसानों ने रविवार की मुज्जफरनगर महापंचायत में शिरकत कर बताया कि तीनों नए कृषि कानून उन्हें नामंजूर हैं। मुल्क को बेचने की बात भी इसी मंच से उठी। मार्निंग कंसल्ट तक भी यह जानकारियां पहुंच गईं होंगी। तकनीक का दौर है। एक से दूसरी जगह ख़बरों के पहुंचने में ज़रा भी वक्त नहीं लगता। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी की रोटिंग का घटना और कुछ ही दिनों में बढ जाना। कई सवाल खडे करता है। क्या इस तरह की राजनीति से यूपी का महत्वपूर्ण चुनाव जीता जा सकता है। जवाब नतीजों के बाद मिलेगा।
-मनोज नैय्यर
journalistmanojnayyar@gmail.com
Write a comment ...