हिन्दी पट्टी के महत्वपूर्ण सूबे एमपी याने मध्य प्रदेश ने गजब फैसला लिया है। वह फैसला जिससे घर-घर डॉ. केशव हेडगेवार के विचार पहुंच सके। इसके लिए भविष्य के डॉक्टरों को चुना गया है। बहुत खूब। जबरदस्त फैसला है। एमपी की सरकार इसके साथ ही जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी सहित बाबा साहेब भीम राव अंबेदकर के विचारों को भी भविष्य के डॉक्टरों को पढाने की शुरुआत करने जा रही है। कमाल का फैसला है। दुनिया में जिस तरह के हालात हैं। डॉक्टरों की हर किसी को जरुरत रहती है। हॉस्पिटल, ओपीडी, क्लीनिक तमाम जगह मरीजों का जमावडा रहता है। एमपी के भविष्य के डॉक्टर मरीजों का इलाज भी करेंगे और महापुरुषों के विचारों को घर-घर पहुंचने का बीडा भी उठाएंगे। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के विचार कैसे हैं। इसका खुलासा जानेमाने स्क्रिप्ट राइटर, गीतकार, शायर जावेद अख्तर कुछ घंटे पहले ही एनडीटीवी इंडिया पर कर चुके हैं। बीजेपी ने इसका जबरदस्त विरोध किया है। जावेद अख्तर की फिल्में प्रदर्शित न होने देने तक की धमकी भी दी है। एनडीटीवी से याद आया। रवीश कुमार का प्राइम टाइम हैथवे केबल टीवी की पॉपुलर पैक से हटा दिया गया है। रवीश बाबु आपने दर्शकों से कह रहे हैं कि वें हैथवे से पूछे कि क्यों उनके शो को हटाया गया है। मजेदार है। क्यों रवीश बाबु मौजूदा सरकार विचारों से असहमत रहते हैं? नतीजा देख लिया। रिलायंस की कंपनी है हैथ-वे। कुछ भी कर सकती है। निजि कंपनी है। उसका खुद का कायदा कानून है। बंधी नहीं पडी है किसी नियमों, सिद्धांतों से। यहीं तो होती है आपनी हुकूमत।
जब मैं इन पंक्तियों को लिख रहा हूं तो एकाएक आजतक टीवी चैनल की टीम में रविवार को मुज्जफरनगर में हुई किसान महापंचायत का विशलेषण करना शुरु कर दिया। आजतक के विशलेषण का लब्बोलुआब यह था कि किसान नेताओं ने जिस तरह से हिन्दु-मुस्लिम एकता के उद्घोष महापंचायत मे करवाए। अगर यह एकता अंग्रेजी के नए साल तक कायम रही तो पश्चिमी यूपी की 100 सीटें दांव पर रहेगी। बाकी बची यूपी असेंबली की 303 सीटें। इसमें से कितनी दांव पर रहेगी ? इसका विशलेषण कौन करेगा ? एकाध दिन पहले ही एबीपी न्यूज़ बता चुका है कि यूपी में फिर से योगी सरकार बनने जा रही है। 50 हजार से कम लोगों से बातचीत पर आधारित न्यूज़ चैनल ने यह दावा कर दिया है। यूपी में अगर 20 करोड की आबादी है तो जाहिरा तौर पर 16 करोड से ज्यादा वोटर होंगे। फिर कैसे कोई 50 हजार से कम लोगों की राय को मान लें ? खैर, इधर के दिनों में तमाशा ज्यादा है। किसानों की मुज्जफरनगर में हुई महापंचायत को कवर करने के लिए आजतक की चित्रा त्रिपाठी भी पहुंची थी। एंकर हैं। पत्रकारिता की कितनी समझ है। नहीं जानता। हा, 27 जनवरी को उनको गाजीपुर बॉर्डर से लाइव करते देखा था। गाजीपुर वहीं है जो शायद अब राकेश टिकैत का नया सरनामा (एडरेस) है। खुद राकेश टिकैत ने रविवार को इसका ऐलान किया है। उनका कहना है कि जब तक केंद्र सरकार तीनों नए कृषि कानून वापिस नहीं ले लेती। तब तक गाजीपुर से हटेंगे नहीं। भले ही सरकार उनका मर्डर करवा दें। चित्रा त्रिपाठी ने भी 27 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर से लाइव हो कर पैरा मिलट्री फोर्स के जिस तरह से कसीदे गढे थे। शायद यह नई पत्रकारिता हो। जिसे मुझे नहीं सिखाया गया। लेकिन इसी नई पत्रकारिता की नई तस्वीर यह है कि चित्रा त्रिपाठी को मुज्जफरनगर की किसान पंचायत से इस तरह से पैक करवाया गया। इसका ख्वाब शायद किसी भी पत्रकार ने नहीं देखा होगा।
जब मैंने कलम को चुना था तो वीर जी की किताब -वो इंकलाबी दिन- पडी थी। वीरेद्र जी लाहौर से जालंधर आए थे। बंटवारे की वजह से। उनके साथ-साथ दिवंगत लाला जगत नारायण, जिनकी बरसी 9 सितंबर को है। यश जी। डॉक्टर साधु सिंह हमदर्द। कामरेड जोगिंदर सिंह आनंद। को पढा। शायद इनमें से आज के किसी को भी चित्रा त्रिपाठी या आज के नए पत्रकारों ने नहीं पढा। यश जी को 9 बरस की उमर में अंग्रेजी हुकूमत ने हथकडी लगा दी थी। हथकडी हाथ से निकल गई। लेकिन अंग्रेजी हुकूमत को रहम न आया। ठीक उसी तरह जैसे मौजूदा हुकूमत। किसानों का संघर्ष 9 महीनें 9 दिन का हो गया। लेकिन किसी भी –मन की बात- में 600 से ज्यादा जान गंवा चुके किसानों का जिक्र नहीं हुआ। हरि शंकर ब्यास-अपुन तो कहेंगे- रोज लिखते हैं। 2019 में उन्होंने इसी कॉलम में लिखा था। पश्ताचाप का वक्त। क्यों लिखा था ? मौजूदा सरकार की नीतियों की वजह से। उसके बावजूद फिर से केंद्र में नरेंद्र दमोदरदास मोदी की सरकार सत्ता में आई। इसकी वजह क्या? इन्हीं बारीकियों को खोजने का काम आज से शुरु करने जा रहा हूं। साथ ही भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि भारतीय संविधान बाबा साहेब की देन है। इसी संविधान में हर जाति, हर मजहब को संरक्षण दिया गया है। छत्तीसगढ के सीएम भूपेश बघेल के पिता पर किसी संविधान के तहत मुकद्दमा दर्ज हुआ है। इसलिए बाबा साहेब का संविधान सर्वोप्रिय है। भले ही आरएसएस इसे बदलने की वकालत कर रहा है। सत्ता के जोश में भी है आरएसएस। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष। सबके सब संघी हैं। लेकिन संविधान ने उन्हें गरिमा दी है। इसलिए आरएसएस को मुल्क का संविधान बदलने की जुर्रत नहीं करने दूंगा। राकेश टिकैत भाई, आप संविधान की चिंता छोड किसान की फिकर करें। मेरे जैसे दलित जिनको बाबा साहेब ने संविधान दिया। पढने, लिखने को प्रेरित किया। बाबा साहेब के संविधान को बदलने का अधिकार किसी को नहीं दूंगा। मनु महाराज के करिंदे इसे नोट कर लें।
मनोज नैय्यर
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